म्योरपुर ब्लाक का जमतिहवा व मुर्धवा नाला का चट्टान हमेशा से भू-वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय रहा है। यही कारण है कि समय-समय पर बीएचयू व देश के अन्य क्षेत्रों के भू-वैज्ञानिक यहां पर आकर शोध करते रहते हैं।

सोमवार को भी बीएचयू के भू-वैज्ञानिकों के साथ 30 सदस्यीय टीम यहां पर आई। इस दौरान वैज्ञानिकों ने यह दावा किया कि मुर्धवा व जमतिहवा नाला के पास जो चट्टान (पत्थर) है, वह सलखन स्थित फासिल्स से भी पुराना है। वैज्ञानिकों के इस दावे के साथ नई बहस छिड़ गई है। वैसे बीएचयू के वैज्ञानिकों के दावों को लेकर जनपद के वरिष्ठ खनन अधिकारी आशीष कुमार ने अनभिज्ञता जताई है। उन्होंने कहा कि शासन अगर वैज्ञानिकों के दावों की पुष्टि के लिए निर्देशित करेगा तो हम लोग अपने स्तर से इसकी जांच कराएंगे।

म्योरपुर के जमतिहवा नाला व मुर्धवा क्षेत्र का देश के विभिन्न हिस्सों से वैज्ञानिकों की टीम दौरा कर चुकी है। अमेरिका के फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के भू-वैज्ञानिक नेपच्यून कुछ वर्ष पहले जनपद दौरे पर यह बात कही थी कि वह चाहते हैं कि यह क्षेत्र भू वैज्ञानिकों के लिए शोध केंद्र बने, जिससे पृथ्वी के निर्माण और उथल पुथल का राज गहराई से समझा जा सके। सोमवार को बीएचयू सहित कई स्थानों के भू वैज्ञानिकों और शोध छात्र इसी राज को समझने के लिए एकत्रित हुए थे। इस दौरान टीम ने म्योरपुर ब्लाक, मुर्धवा नाला व रनटोला स्थित जमतिहवा नाला का अध्ययन किया।